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छठ पूजा के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्पित हुआ अर्घ्य

छठ घाटों पर उमड़ा जनसैलाब

कुशीनगर जनपद के विशुनपुरा थाना क्षेत्र अंतर्गत जंगल लाला छपरा, चाफ, भगड़ा पिपरासी,सोहनपुर, मठियामाफी आदि छठ घाट पर छठ महापर्व के अंतिम दिन का दृश्य अत्यंत भव्य और श्रद्धामय था। हजारों छठ व्रती महिलाएं और श्रद्धालु भक्त सुबह-सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए घाट पर पहुंचे। घाट पर एकत्रित हुई महिलाओं ने परंपरागत रूप से पानी में खड़े होकर सूर्यदेव की आराधना की, जिससे समूचे वातावरण में भक्ति और आस्था का भाव व्याप्त हो गया।

छठ पूजा का यह अंतिम दिन, जिसे “सूर्य षष्ठी” के रूप में भी जाना जाता है, विशेष रूप से उगते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रसिद्ध है।
छठ व्रत करने वाली महिलाओं ने सिर पर बांस की डलिया में प्रसाद, ठेकुआ, फल और गन्ने का गुच्छा लेकर भगवान सूर्य को अर्पण किया। जैसे ही सूरज की पहली किरण जल पर पड़ी, सभी व्रतियों ने समर्पित भाव से सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया और अपने परिवारों के सुख-समृद्धि की कामना की। श्रद्धालु महिलाएं पारंपरिक साड़ी और गहनों में सज-धज कर घाट पर पहुंचीं, जिससे आयोजन की पवित्रता और सुंदरता में चार चांद लग गए।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में भक्तिमय माहौल

इस पावन अवसर पर एक भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय कलाकारों और भक्ति गायकों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। भजन-कीर्तन और छठ पूजा के पारंपरिक गीतों ने रातभर सभी का मन मोह लिया। छठ महापर्व के लोकप्रिय गीत जैसे “कांच ही बांस के बहंगिया” पर लोग झूमते और थिरकते नजर आए। इस अवसर पर आयोजित भक्ति झांकियों ने छठी मईया, भगवान सूर्य और देवी-देवताओं की छवियों को प्रस्तुत किया, जिसे देखकर श्रद्धालु भक्ति में और भी लीन हो गए।

श्रद्धालुओं के लिए यह एक उत्साहपूर्ण रात थी, जहां भक्ति के रंग में रंगी हुई झांकियां और पारंपरिक गीतों की धुन पर श्रद्धालुओं का जोश देखते ही बनता था। पूरी रात भक्ति भाव में झूमते श्रद्धालुओं का उत्साह इस पर्व के महत्व को दर्शा रहा था।

सुरक्षा और सुविधाओं का विशेष ध्यान

प्रशासन ने इस आयोजन में किसी भी तरह की अव्यवस्था से बचने के लिए विशेष प्रबंध किए थे। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। घाट पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी, और विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों ने भी श्रद्धालुओं की मदद के लिए अपनी सेवाएं दीं।
आस्था और परंपरा का पर्व
छठ पूजा का यह पर्व न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह श्रद्धा, भक्ति, और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। कुशीनगर जिले के इस छठ घाट पर हजारों की संख्या में पहुंचे व्रतियों और श्रद्धालुओं ने इस पर्व को पूरे भक्तिभाव और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया। जैसे ही उगते सूर्य की पहली किरण जल में पड़ी, व्रतियों के चेहरे पर एक अद्भुत संतोष और आस्था की चमक देखी गई, जो इस महापर्व के महत्व को और भी बढ़ा देती है

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